22 May 2011

लक्ष्मीशंकर वाजपेयी की हाइकु कविताएँ

सुजगवां (कानपुर) में 10 जनवरी 1855 को जन्में लक्ष्मीशंकर वाजपेयी ने भौतिक विज्ञान में परास्नातक की डिग्री ली है। आपने ग़ज़ल के साथ-साथ हाइकु, लेख, व्यंग्य व बालसाहित्य की विधाओं में सृजन किया है। गज़ल-संग्रह 'खुशबू तो बचा ली जाए' तथा 'बेज़ुबान दर्द' सहित तीन कृतियों का प्रकाशन हो चुका है। तमिल, पंजाबी, डोगरी, उर्दू, जापानी, अंग्रेज़ी आदि भाषाओं में कविताओं का अनुवाद। काव्यमंचों पर भी व्यापक स्तर पर भागीदारी। देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन। सौ से अधिक समारोहों और घटनाओं की कमेंट्री का प्रसारण। अनेक पत्र-पत्रिकाओं व संकलनों में अनेक विधाओं में रचनाएं प्रकाशित।
अनेक प्रतिष्ठित साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित वाजपेयी जी आकाशवाणी नयी दिल्ली के केंद्र निदेशक हैं।
   
सम्पर्क सूत्र -

-लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
304, लक्ष्मीबाई नगर
नई दिल्ली-110023




चंदन वृक्ष
जितने दिन जिया
बाँटी सुगंध




एक कंकरी
अनगिन लहरें
शांत झील में



सत्य को विष
झूठ को सिंहासन
ऐसा क्यों प्रभु



घेरे मन को
हमेशा, हर कहीं
अकेलापन




 न बचा दूध
न आया अखबार
बुझी सुबह




ये अवसाद
नगरों का प्रसाद
गाँवों को लौटो



खुश है घर
आ बैठा एक पंछी
सूने घर में



धारा को बाँधा
नदी का तीब्र क्रोध
बना बिजली




जादू है प्यार
हो जाता सब कुछ
खुशनुमा सा



दवा नक़ली
इंजेक्शन नक़ली
मौत असली



दुखी है घर
सब गए काम पे
वो कहाँ जाए






1 comment:

त्रिलोक सिंह ठकुरेला said...

Bahut Sundar
TRILOK SINGH THAKURELA
www.triloksinghthakurela.blogspot.com