29 May 2011

आर. पी. शुक्ल की हाइकु कविताएँ


लोकप्रिय प्रशासक एवं साहित्यकार आर.पी.शुक्ल का जन्म 15 अगस्त 1949 को हाजीपुर गंग, जिला फतेहपुर (उ०प्र०) में हुआ। दर्शनशास्त्र में एम.ए. एवं एल.एल.बी. तक शिक्षा ग्रहण कर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री शुक्ल जी  आयुक्त सहारनपुर के पद से सेवानिवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन से जुड़े हुए हैं। एक दर्जन से अधिक पुस्तकों के लेखक शुक्ल जी हाइकु कविता में विशेष रुचि रखते हैं। आपका "रजनीगंधा" शीर्षक हाइकु काव्य संकलन प्रकाशित हुआ है। हाइकु - 2009 में आपके हाइकु सम्मिलित हुए हैं। आपने सहारनपुर के 9 हाइकुकारों के समवेत संकलन "इन्द्रधनुष" का सम्पादन किया है।

श्री शुक्ल जी ने जिलाधिकारी मऊ, अम्बेडकर नगर, कानपुर देहात, झाँसी, एटा, निदेशक संस्कृति एवं पंचायती राज, प्रबंध निदेशक आवश्यक वस्तु निगम उ०प्र, गृह सचिव उ०प्र० सरकार, परिवहन आयुक्त उ०प्र०, कमिश्नर फैजाबाद मण्डल व सहारनपुर मण्डल जैसे महत्त्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएँ दी हैं। अनेक पुरस्कार तथा सम्मान श्री शुक्ल जी को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए मिल चुके हैं।

सम्पर्क सूत्र -

आर. पी. शुक्ल ( I A S )
401, नवनिर्माण भवन अपार्टमेंट्स,
प्राग नारायण रोड
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

ईमेल- rp.shukla@live.in
मोबा.  9451842384










झील के पार
करने को विश्राम
सूरज गया






तितली उड़ी
मन भी पीछे भागा
रंग बाँटने




जला नहीं वो
आग के अंगारों से
ईर्ष्या से जला




जुलाहा था वो
सीखे जिससे मैंने
रिश्ते जोड़ने




दर्द के किस्से
घूम घूम आये हैं
मेरे ही हिस्से




साहब तो था
पर आदमी नहीं
न जाने क्या था




गौरैया उड़ी
उड़ी भी तो ऐसे कि
फिर न दिखी





माथे पर क्यूँ
बन गई लकीरें
दरका हूँ क्या ?





ओढ़े बैठी है
उम्मीद की चादर
फटी पुरानी



माँ है गाँव में
बेटा है शहर में
रिश्ता फोन में




कोमा में गया
फिर जागा ही नहीं
मेरा ज़मीर




दीवार उठी
आँगन से पहले
चुप मन में





गाँठ जो लगी
सम्बंधों के धागों में
फिर न खुली




1 comment:

त्रिलोक सिंह ठकुरेला said...

दीवार उठी
आँगन से पहले
चुप मन में

मन को छूने वाला हाइकु है