12 June 2011

कृष्ण शलभ की हाइकु कविताएँ

जिओगे कैसे
यदि मर ही गया
तुम्हारा मन ।



पुकारा तुम्हें
तो आवाज़ ही लौटी
तुम न आये ।



सरसों खिली
बही पीली नदी-सी
वसन्त आया ।



सुन री बेल
बढ़ना है तो रख
जड़ों से मेल ।



ओस के मोती
लील ही गई धूप
भोर होते ही ।



जलना है तो
ईर्ष्या में मत जल
दीये-सा जल ।




अकेले कहाँ
कारवाँ होगा पीछे
चलो तो सही ।




लिख रहा है
वो पसीने में नहा
कर्म की गीता ।



- कृष्ण शलभ
मुरारी नगर, दिल्ली रोड, सहारनपुर (उत्तर प्रदेश)- 247001

1 comment:

त्रिलोक सिंह ठकुरेला said...

Bahut Sundar.
TRILOK SINGH THAKURELA
trilokthakurela@yahoo.com