उत्तर पश्चिम रेलवे में इंजीनियर त्रिलोक सिंह ठकुरेला का जन्म 01 अक्टूबर 1966 को नगला मिश्रिया, महामाया नगर (उ०प्र०) में हुआ। ठकुरेला जी ने इलैक्ट्रिक इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है। गीत, ग़ज़ल, दोहा, लघुकथा, कहानी एवं हाइकु आदि विधाओं में लेखन कर रहे त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं तथा संकलनों में प्रकाशित हुई हैं। हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग तथा पुष्पगंधा प्रकाशन कवर्धा छत्तीसगढ़ द्वारा ठकुरेला जी को सम्मानित किया जा चुका है।
"हाइकु - 2009" संकलन में आपकी हाइकु कविताएँ प्रकाशित हुई हैं।
( त्रिलोक सिंह ठकुरेला की यहाँ प्रकाशित हाइकु कविताओं में से कुछ हाइकु - 2009 में प्रकाशित हो चुकी हैं।)
त्रिलोक सिंह ठकुरेला का सम्पर्क सूत्र है-
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
एल० - 99
रेलवे चिकित्सालय के सामने
आबू रोड- 307026
(राजस्थान)
मोबा. - 09460714267
वही है बुद्ध
जीत लिया जिसने
जीवन युद्ध !
शिखरों तक
किसको पहुँचाया
बैसाखियों ने !
इच्छाएँ तट
ज़िन्दगी एक नदी
आशा की नाव !
यह संसार
उसका ही जिसने
बाँटा है प्यार !
वही है सार
कर्म भूमि केवल
यह संसार !
संसार ऐसा
जैसा तुम बोओगे
उगेगा वैसा !
प्रेम लुटाओ
गोल है यह पृथ्वी
वापस पाओ !
ठूँठ हो रही
खुशहाल ज़िन्दगी
पेड़ खोकर !
पूछती रही
मानवता का पता
व्याकुल नदी !
किसने सुनी
उनकी फरियाद
बेचारे पेड़ !
धूप सहते
सुखद छाया देते
संत हैं वृक्ष !
हरे पेड़ों से
करने लगे लोग
काली कमाई !
कटे जब से
हरे-भरे जंगल
उगी बाधाएँ !
बढ़ता ताप
घटती हरियाली
प्रगति-भ्रम !
- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
2 comments:
वही है बुद्ध
जीत लिया जिसने
जीवन युद्ध ।
जीवन स्वयं में एक महा संग्राम है, पग पग पर व्यक्ति को संघर्ष करना पढ़ता है़, सफल जीवन जीना ही सफलता की पराकाष्ठा है़। ..... बहुत ही अच्छा हाइकु है ये ठकुरेला जी का। बधाई ।
शरद सिन्हा, भागलपुर
ठकुरेला जी के हाइकु बहुत अच्छे लगे. इनमे आजकी वास्तविकता परिलक्षित है.
विवेक डागुर
अहमदाबाद (गुजरात)
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