27 April 2011

गोपालदास नीरज के हाइकु

हाइकु दर्पण के इस अंक में प्रख्यात गीतकार पद्मश्री गोपालदास नीरज की हाइकु कविताओं को प्रकाशित किया जा रहा है।

गोपालदास नीरज
04 जनवरी, 1925 ई०, पुरावली, इटावा (उत्तर प्रदेश) में जन्मे नीरज जी ने  गीत, ग़ज़ल, दोहा, हाइकु आदि विधाओं में सृजन किया है। नीरज जी के दो दर्जन से अधिक काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। हिन्दी फिल्मों में लगभग 150 गीत आपने लिखे हैं। गोपालदास नीरज हिन्दी गीत के शलाका पुरुष तथा हिन्दी काव्यमंचों के सम्मानित रचनाकार हैं। नीरज जी को पद्मभूषण एवं पद्ममश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। यशभारती पुरस्कार से आपको पुरस्कृत किया गया है। फिल्मो में गीत लेखन के लिए "फिल्मफेयर एवार्ड" से सम्मानित किया गया है। देश की अन्य अनेक संस्थाओं द्वारा भी नीरज जी को पुरस्कृत व सम्मानित किया जा चुका है। "कारवाँ गुजर गया", "शोखियों मे घोला जाए" जैसे कितने ही हिट गीतों की रचना नीरज जी ने की है। उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार में नीरज जी का कैबिनेट मंत्री का दर्जा रहा है। वर्तमान में नीरज जी साहित्य साधना में रत रहते हुए मंगलायतन वि०वि० अलीगढ़ के कुलाधिपति हैं। नीरज जी का सम्पर्क सूत्र है-
-गोपालदास नीरज
जनकपुरी, मैरिस रोड
अलीगढ़-202001 (उ०प्र०)
मोबा०- 09412671777

(नीरज जी "हाइकु-2009" के सम्मानित रचनाकार हैं। इसी संग्रह से नीरज जी की हाइकु कविताएँ यहाँ प्रकाशित की जा रही हैं।)

जन्म मरण
समय की गति के
हैं दो चरण ।



वो हैं अकेले
दूर खड़े होकर
देखें जो मेले ।


मेरी जवानी
कटे हुए पंखों की
एक निशानी ।


हे स्वर्णकेशी
भूल ना, यौवन है
पंछी विदेशी ।


वो हैं अपने
देखे हों मैंने जैसे
झूठे सपने ।


किससे कहें
सबके सब दुख
खुद ही सहें ।


है अनजानी
जीवन की कहानी
किसने जानी ।


-गोपालदास नीरज

1 comment:

सुशांत सिंघल said...

सहारनपुर जैसे छोटे से शहर में भी हाइकुकारों की एक पूरी फसल तैयार हो गई है। श्री आर.पी. शुक्ल, कमलेश भट्ट कमल, डा. आर.के. सैनी, डा. सपना सिंह, वीरेन्द्र आज़म आदि आदि अपनी रचनाओं से श्रोताओं को रससिक्त कर रहे हैं। देखें कुछ बानगी ..

चाबुक छोड़
सहला कर देख
मान जायेगा !

गिलहरी भी
पुल बना देती है
ईश कृपा से !

जल मरी वो
जो फूल सी पली थी
मां की कोख में !

- सुशान्त सिंहल